अश्विनी वैष्णव की रेल हो गई डिरेल: हर महीने तीन हादसे, फुट मसाजर खरीद रही रेलवे
भारतीय रेल का हाल
देश की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल हाल के दिनों में खुद डिरेल हो गई है। यह बात हम नहीं बल्कि खुद भारत सरकार के रेल मंत्रालय के आंकड़े कह रहे हैं। देश में रेल हादसों के मामले बढ़े हैं। रेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 से 2023 के बीच कुल 756 रेल हादसे हुए, जिनमें ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से करीब 426 घटनाएं शामिल हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 साल में कुल 750 लोगों की मौत इन रेल हादसों में हो गई है, जबकि 1500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद राज्यसभा में कहा कि सिर्फ 2023 में 48 रेल हादसे हुए, जिनमें 36 हादसे ट्रेन की पटरी से उतरने की वजह से हुए हैं।
रेल कवच की स्थिति
भारत का रेल नेटवर्क एशिया में सबसे बड़ा है और दुनिया में यह चौथे पायदान पर है। वाणिज्य मंत्रालय के ट्रस्ट इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, देश में रोजाना करीब 22,593 ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जिनमें 13,452 यात्री ट्रेनें शामिल हैं।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने 7 जुलाई, 2021 को पदभार संभाला था। आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस की एक आरटीआई से पता चला कि उनके कार्यकाल में हर महीने कम से कम 3 डिरेलमेंट हो रहे हैं। पिछले तीन सालों में हर महीने दो पैसेंजर ट्रेन और एक मालगाड़ी डिरेल हुई है।
रेल मंत्री ने ऑटोमेटिक रेल प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी कवच लगाने की घोषणा की थी। वित्त वर्ष 2022 से 2023 में 5000 किलोमीटर रूट पर कवच लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन जून 2024 तक सिर्फ 1500 किलोमीटर ट्रैक पर ही कवच लग सका है।
बुलेट ट्रेन का काम तेजी से जारी
अहमदाबाद से मुंबई के बीच जो बुलेट ट्रेन चलाई जानी है, उसमें एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये खर्च होने हैं। यह कार्य तेजी से हो रहा है और साल 2026 तक ट्रायल रन की संभावना है। लेकिन 65,000 करोड़ रुपये की लागत वाली रेल कवच अपने लक्ष्य से कोसों दूर है।
लोको पायलट के पास वॉकी टॉकी की कमी
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य डॉ. अजय कुमार ने जमशेदपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, “मैं देश को गारंटी देता हूं कि अगले पांच साल में वे भारतीय रेलवे में ऐसा बदलाव देखेंगे जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी।”
डॉ. अजय ने कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कंचनजंगा रेल हादसे पर चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CCRS) की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि जब यह हादसा हुआ, तब से तीन घंटे पहले से ही स्वचालित सिग्नल खराब था। साथ ही लोको पायलट और ट्रेन प्रबंधक के पास वॉकी-टॉकी जैसे महत्वपूर्ण उपकरण नहीं थे।
फुट मसाजर और महंगी क्रॉकरी
साल 2021 में आई CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए ‘राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष’ (RRSK) बनाया था। इसमें 5 साल के लिए 1 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। टैक्स पेयर्स के इस पैसे का इस्तेमाल यात्रियों की सुरक्षा के बजाय फुट मसाजर, महंगे जैकेट, किचन की महंगी क्रॉकरी, महंगे फर्नीचर और लैपटॉप खरीदने में किया गया।
रेलवे की सफाई
रेल मंत्रालय ने इस मामले में अपनी सफाई देते हुए कहा कि उसने सेफ्टी कमेटी की सिफारिशों के आधार पर लोको पायलटों के लिए रनिंग रूम में बॉडी मसाजर, फुट मसाजर और एसी जैसी कई महत्वपूर्ण सुविधाएं दी हैं ताकि काम करने के लिए उनके शरीर को आराम और तनाव से राहत मिल सके। मानव संसाधन विकास के लिए 1,861 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
निष्कर्ष
रेलवे यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने में नाकाम हो रही है। फुट मसाजर और महंगी क्रॉकरी की बजाय, सुरक्षा उपकरण और टेक्नोलॉजी में निवेश अधिक महत्वपूर्ण है। रेलवे को अपने प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना चाहिए और यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।