गद्दार नेताओं पर दिल्ली से गिरेगी गाज, दिल्ली भेजने के लिए तैयार हो रही रिपोर्ट
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कई महत्वपूर्ण सीटें गंवानी पड़ी हैं। पार्टी के कई बडे़ नेताओं को हार का मुंह देखना पड़ा। पार्टी की जांच समितियों की रिपोर्ट लगभग तैयार हो गई है। इन्हें एकत्र कर दिल्ली भेजने की तैयारी चल रही है। जांच में पता चला है कि भितरघात के चलते कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर हुआ है। कहीं पार्टी के नेताओं ने ऐसी चूक कर दी जिससे उनका बंटाधार हो गया। पार्टी ने गद्दार नेताओं की लिस्ट तैयार कर ली है। इसके दिल्ली जाते ही इन गद्दार नेताओं पर कार्रवाई होगी। कांग्रेस से भितरघात करने वाले नेताओं पर गाज गिरनी तय है।
वायरल वीडियो के चलते पलट गई बाजी
इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भले ही 16 सीटें जीत ली हों मगर, वह कई ऐसी सीटें हार गई जिससे उसका प्रदर्शन कमजोर लगने लगा है। इनमें कई सीटें शामिल हैं। जमशेदपुर पश्चिम में कांग्रेस के प्रत्याशी बन्ना गुप्ता मंत्री रहते हुए चुनाव हार गए। उन्हें जनता दल यूनाईटेड के उम्मीदवार सरयू राय ने 7 हजार 863 वोटों से हरा दिया। बन्ना गुप्ता को 95 हजार 768 वोट मिले। जबकि, सरयू राय को 1 लाख 3 हजार 631 वोट मिले हैं।
यहां कांग्रेस का अपना संगठन जीरो है। बन्ना गुप्ता ने अपना खुद का नेटवर्क बना रखा है। जिले में गुटबाजी की जो स्थिति है उसमें बन्ना गुप्ता और जिला अध्यक्ष आनंदबिहारी दुबे एक साथ हैं। बन्ना गुप्ता अपने खुद के नेटवर्क के चलते संगठन के अन्य नेताओं से कोई खास वास्ता नहीं रखते थे। इस वजह से अलग-थलग पडा मानगो के कांग्रेसियों का यह तबका लगभग हर चुनाव में सिर्फ अपना वोट देने तक ही सीमित रहता है। इस बार भी वही हुआ। यहां कांग्रेस को लग रहा था कि वह इस चुनाव को दौडा कर जीत लेंगे। उनके आसपास जो उनका अपना नेटवर्क है उसमें भी चापलूसों की खासी तादाद है। जिसने चुनाव के दौरान कभी भी बन्ना गुप्ता को यह एहसास नहीं होने दिया कि वह चुनाव हार रहे हैं। यही नहीं, इन नेताओं की बयानबाजी की वजह से कांग्रेस के मूल वोट बैंक में नाराजगी पैदा हुई। साथ ही इन कथित नेताओं ने प्रत्याशी को जनता तक पहुंचने नहीं दिया। इसी वजह से मुस्लिम समुदाय के कम लोग ही वोटिंग करने निकले। आखिरी वक्त में एक वीडियो वायरल किया गया जिसका समय रहते जवाब नहीं दिया जा सका। यह वीडियो कांग्रेस की हार की बडी वजह बन गया।
अपनों की दगा से पूर्वी में हुई हार
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा में भितरघात की बात सामने आई है। यही नहीं, कई नेताओं को चिन्हित भी कर लिया गया है। इनके नाम दिल्ली भेजने की तैयारी चल रही है। यहां भितरघात हुआ और स्थानीय इकाई ने प्रत्याशी की जड खोदने का काम किया। इस वजह से यहां अच्छा माहौल बनने के बाद भी कांग्रेस जीत नहीं पाई। कई बडे नेता अपने बूथ में भी कांग्रेस को नहीं जिता पाए।
झरिया व धनबाद में भी हुआ भिरतघात
झरिया में भी भितरघात की बात सामने आ रही है। यहां भाजपा की रागिनी सिंह ने कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्णिमा नीरज सिंह को 14 हजार 511 वोटों से हरा दिया है। रागिनी सिंह को 87 हजार 892 वोट मिले हैं। जबकि, पूर्णिमा नीरज सिंह को 73 हजार 381 वोट मिले हैं। यहां भी स्थानीय इकाई ने प्रत्याशी का साथ नहीं दिया। इस वजह से यहां सिटिंग सीट हाथ से निकल गई। धनबाद में कांग्रेस का नया चेहरा सामने था। नया चेहरा होने की वजह से भी कांग्रेस का नुकसान हुआ। यहां भी कांग्रेस की स्थानीय इकाई पर आरोप है कि उसने प्रत्याशी के साथ तालमेल नहीं बनाया।
जरमुंडी में हरिनारायण राय बन गए हार की वजह
जरमुंडी में भी कांग्रेस के उम्मीदवार बादल पत्रलेख नहीं जीत पाए। उन्हें भाजपा के देवेंद्र कुंवर ने 17 हजार 546 वोटों से मात दे दी है। देवेंद्र कुंवर को 94 हजार 892 वोट मिले जबकि, बादल पत्रलेख को 77 हजार 346 वोट मिले हैं। कहा जा रहा है कि जब बादल पत्रलेख मंत्री थे तो उनके खिलाफ जरमुंडी में माहौल बन गया था। इस माहौल को वह बदल नहीं पाए। इसके अलावा, पूर्व मंत्री हरिनारायण राय की भाजपा से नजदीकी भी कांग्रेस को भारी पडी। नतीजतन उन्हें हार का सामना करना पडा।
तो और बेहतर होता प्रदर्शन
कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में 30 सीटों पर चुनाव लडा था। पार्टी इनमें से 14 सीटें हार गई। 16 सीट पर पार्टी को जीत नसीब हुई है। कहा जा रहा है कि अगर कांग्रेस को भितरघात से बचा लिया जाता और वरिष्ठ कांग्रेसी मेहनत करते तो और भी सीटें जीती जा सकती थीं। प्रदेश के वरिष्ठ नेता कई सीटों पर प्रचार करने नहीं पहुंचे। जमशेदपुर की दोनों सीटों पर प्रदेश से कोई बडा नेता प्रचार या सभा करने नहीं आया। कांग्रेस में हर चुनाव में भितरघात होता है। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलता वह प्रत्याशी की टांग खींच लेते हैं। मगर, इन गद्दार नेताओं पर कांग्रेस ने कभी कार्रवाई नहीं की है। इस वजह से कांग्रेस में भितरघात एक परंपरा बन गई है। कांग्रेस में सभी जिलों में दो गुट नजर आते हैं और दोनों गुट किसी भी हद तक जाकर एक दूसरे के खिलाफ न केवल बयानबाजी करते हैं बल्कि हाथापाई तक करने से गुरेज नहीं करते। लेकिन, इस बार कांग्रेस दगाबाज नेताओं को बख्शने के मूड में नहीं है। इसलिए कार्रवाई की बात कही जा रही है।